साल 2015 के भ्रष्टाचार मामले में मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी गिरफ्तारी से राहत


बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को पुलिस इंस्पेक्टर भीमराव घडगे की ओर से दायर की गई एफआईआर मामले में गिरफ्तारी से राहत दी है। हाईकोर्ट ने अब मामले की सुनवाई 9 जून तक टाल दी है। हाईकोर्ट में अब गर्मी की छुट्टियों के बाद रेगुलर बेंच इसपर सुनवाई करेगी।

भीमराव घडगे ने इसी साल अप्रैल में अकोला पुलिस थाने में परमबीर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में परमबीर सिंह सहित 26 पुलिस अधिकारियों के नाम दर्ज हैं। इन सभी पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, सबूतों को खत्म करने और एससी-एसटी ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। 

घडगे ने आरोप लगाया कि जब परमबीर सिंह ठाणे पुलिस में थे, तब उनसे तैनाती के बदले रिश्वत मांगी गई थी। घडगे का आरोप है कि उन्होंने तब भी इसकी शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। परमबीर सिंह साल 2015 से लेकर 2018 तक ठाणे पुलिस कमिश्नरी में तैनात थे। घडगे का दावा है कि परमबीर सिंह ने कई बार उनसे ऐसे आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर न करने को कहा था, जिनके खिलाफ कई गंभीर धाराओं में पहले से केस दर्ज था।


इसी साल मार्च में परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटा दिया गया था। उन्हें होमगार्ड का डायरेक्टर जनरल बनाया गया था। इसके बाद परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर यह दावा किया था कि अनिल देशमुख ने राज्य के गृहमंत्री रहते हुए हर महीने सचिन वाझे से 100 करोड़ रुपये की उगाही करने को कहा था। इन आरोपों के बाद अनिल देशमुख को महाराष्ट्र के गृहमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

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